प्रमुख भारतीय मुस्लिम विद्वानों, संगठनों और सार्वजनिक हस्तियों ने भारत सरकार और वैश्विक समुदाय से गाजा में जारी नरसंहार के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने का आह्वान किया है।
शुक्रवार को जारी एक संयुक्त बयान में उन्होंने कहा, "हम, भारत में मुस्लिम संगठनों के नेता, इस्लामी विद्वान और भारत के शांतिप्रिय नागरिक, गाजा में हो रहे नरसंहार और मानवीय तबाही की कड़ी निंदा करते हैं। 20 करोड़ से अधिक भारतीय मुसलमानों और हमारे प्यारे देश के सभी शांतिप्रिय नागरिकों की ओर से, हम फिलिस्तीन के लोगों के प्रति अपना अटूट समर्थन और एकजुटता व्यक्त करते हैं।"
घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करने वाले प्रमुख लोगों में से एक, जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि, 'फ़िलिस्तीन और इज़राइल के संबंध में हमारी सरकार द्वारा अपनाई गई नीति भारत की ऐतिहासिक स्थिति और नैतिक मूल्यों के विरुद्ध है। यह हमारे देश की वैश्विक पहचान को नुकसान पहुँचा रही है। वर्तमान नीति ने हमें मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वाले समूहों के साथ खड़ा कर दिया है।मौलाना मदनी ने कहा कि फ़िलिस्तीन का मुद्दा अब केवल फ़िलिस्तीन समर्थक होने या न होने का नहीं रह गया है, बल्कि यह मानवता समर्थक मुद्दा बन गया है। आज वहाँ मानवता उथल-पुथल में है, लेकिन हम मानवता के आधार पर भी उनके साथ खड़े होने से मुँह मोड़ रहे हैं, जो शर्मनाक है।”
फ़िलिस्तीन और इज़राइल के संबंध में हमारी सरकार द्वारा अपनाई गई नीति भारत की ऐतिहासिक स्थिति और नैतिक मूल्यों के विरुद्ध है
घोषणापत्र में अन्य प्रमुख हस्तियों में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष, जमाते इस्लामी हिंद के अध्यक्ष, दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष और एक पूर्व सांसद शामिल थे।
यह अपील भारतीय और इज़राइली सैन्य अधिकारियों द्वारा नई दिल्ली में एक बैठक के दौरान "दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य" के साथ द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को मज़बूत करने पर सहमति व्यक्त किए जाने के कुछ दिनों बाद आई है।
अक्टूबर 2023 में गाजा पट्टी पर इज़राइल के नरसंहारी युद्ध की शुरुआत के बाद से, लगभग 60,000 फ़िलिस्तीनी, जिनमें से अधिकांश महिलाएँ और बच्चे हैं, मारे जा चुके हैं।
सैन्य अभियान ने इस क्षेत्र को तबाह कर दिया है, स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को तहस-नहस कर दिया है और खाद्यान्नों की भारी कमी पैदा कर दी है।