रूस में भारत के राजदूत विनय कुमार ने एक साक्षात्कार में टेेस को बताया कि भारत वहीं से तेल खरीदेगा जहां से उसे लाभ होगा।
राजदूत ने कहा, ‘‘सबसे पहले, हमने स्पष्ट रूप से कहा है कि हमारा उद्देश्य भारत के 1.4 अरब लोगों की ऊर्जा सुरक्षा है और रूस तथा कई अन्य देशों के साथ भारत के सहयोग से तेल बाजार और वैश्विक तेल बाजार में स्थिरता लाने में मदद मिली है।’’
“इसलिए अमेरिका का यह निर्णय अनुचित, अविवेकपूर्ण और अन्यायपूर्ण है। अब सरकार ऐसे कदम उठाती रहेगी जिनसे देश के राष्ट्रीय हितों की रक्षा हो। और व्यापार वाणिज्यिक आधार पर होता है। इसलिए यदि वाणिज्यिक लेन-देन और आयात का आधार सही है, तो भारतीय कंपनियाँ जहाँ से भी उन्हें सबसे अच्छा सौदा मिलेगा, वहाँ से खरीदारी करती रहेंगी। इसलिए वर्तमान स्थिति यही है,” उन्होंने आगे कहा।
पिछले सप्ताह अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेन्ट ने भारत पर यूक्रेन युद्ध के दौरान रूसी तेल की खरीद में भारी वृद्धि से लाभ कमाने का आरोप लगाया था और कहा था कि वाशिंगटन इस स्थिति को अस्वीकार्य मानता है।
ट्रम्प के सहयोगी पीटर नवारो ने भारत को रूसी तेल के लिए "वैश्विक क्लियरिंग हाउस" बताया था। उनका तर्क था कि दंडात्मक 50% टैरिफ "भारत को वहीं चोट पहुंचाएगा जहां उसे चोट पहुंचती है" और उनका तात्पर्य था कि नई दिल्ली को उन्नत अमेरिकी सैन्य तकनीक हस्तांतरित करने में निहित जोखिम शामिल हैं।
भारत ने बार-बार संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ पर रूसी तेल के निरंतर आयात को लेकर "अनुचित और अनुचित" निशाना साधने का आरोप लगाया है, पश्चिमी सरकारों की आलोचना को खारिज किया है और अपने ऊर्जा व्यापार को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आवश्यक बताया है।
फरवरी 2022 में रूस द्वारा यूक्रेन के खिलाफ युद्ध शुरू करने के बाद से भारत का रूस के साथ व्यापार बढ़ गया है, जिसका मुख्य कारण तेल और उर्वरक का आयात है, जिससे वैश्विक कीमतों पर नियंत्रण रखने और मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में मदद मिली है।