अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को फिर से भारत से रूसी तेल खरीद को लेकर वहां से आने वाले सामानों पर टैरिफ बढ़ाने की धमकी दी, साथ ही दावा किया कि नई दिल्ली रूसी तेल से लाभ कमा रहा है।
एक सोशल मीडिया पोस्ट में ट्रंप ने लिखा, "भारत न केवल भारी मात्रा में रूसी तेल खरीद रहा है, बल्कि खरीदे गए तेल का एक बड़ा हिस्सा खुले बाज़ार में भारी मुनाफ़े पर बेच रहा है। उन्हें इस बात की कोई परवाह नहीं है कि रूसी युद्ध मशीन द्वारा यूक्रेन में कितने लोग मारे जा रहे हैं।"
ट्रंप ने जुलाई में ही भारतीय आयातों पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी थी, और अमेरिकी अधिकारियों ने अमेरिका-भारत व्यापार समझौते के रास्ते में कई भू-राजनीतिक मुद्दों का हवाला दिया है।
ट्रंप ने विकासशील देशों के व्यापक ब्रिक्स समूह को भी अमेरिका के प्रति शत्रुतापूर्ण बताया है। इन देशों ने उनके आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि यह समूह अपने सदस्यों और समग्र रूप से विकासशील देशों के हितों को बढ़ावा देता है।
भारतीय विदेश मंत्रालय के एक बयान में दावा किया गया है कि यूक्रेन संघर्ष शुरू होने के बाद रूस से तेल आयात करने के कारण भारत अमेरिका और यूरोपीय संघ के निशाने पर है।
यह दावा भी किया की दरअसल, भारत ने रूस से आयात इसलिए शुरू किया क्योंकि संघर्ष शुरू होने के बाद पारंपरिक आपूर्ति यूरोप की ओर मोड़ दी गई थी। उस समय, अमेरिका ने वैश्विक ऊर्जा बाजारों की स्थिरता को मज़बूत करने के लिए भारत द्वारा इस तरह के आयात को सक्रिय रूप से प्रोत्साहित किया था।
वाशिंगटन स्थित सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज़ में भारत कार्यक्रम के प्रमुख रिचर्ड रोसो ने रॉयटर्स को बताया कि ट्रम्प प्रशासन की अनिश्चितता भारत के लिए एक चुनौती है।
उन्होंने कहा, "रूस से भारत की निरंतर ऊर्जा और रक्षा खरीद एक बड़ी चुनौती पेश करती है, क्योंकि भारत को नहीं लगता कि वह यह अनुमान लगा सकता है कि ट्रम्प प्रशासन हर महीने रूस के साथ कैसा व्यवहार करेगा।"